रीकोनोसेंस (Reconnaissance ) एक प्रकार की जासूसी ही होती है।जासूसी करने वाले लोग हैं उसका इस्तेमाल करते हैं। चाहे वह कंप्यूटर हैकर हो या आर्मी। इसमें पहले बाहरी ओर से सारी जानकारी इकट्ठा की जाती है और उस जानकारी के आधार पर काम किया जाता है।
रीकोनोसेंस (Reconnaissance ) का बहुत इस्तेमाल करती है।भारत में ऐसे कई मिशन हुए हैं जैसे हाल ही में भारत का सर्जिकल स्ट्राइक इसमें भी भारतीय सैनिकों ने पहले जासूसी कर के जानकारी इकट्ठा की उनके स्थान तक गए और उन पर हमला कर उनके स्थान को तहस-नहस कर दिया जाता है ।
अगर किसी भी देश को खतरा महसूस होता है तो वह Reconnaissance जैसे मिशन चलाती है । जिससे वह अपने दुश्मनों की सारी जानकारी प्राप्त कर सके। इस प्रकार के मिशन ज्यादातर आतंकवादियों के ऊपर किया जाता है ।ऐसे में आर्मी अपने ग्रुप के कुछ सैनिकों को जासूसी के लिए उस स्थान पर भेज दी है जहां पर आतंकी छुपे होते हैं ।उस ग्रुप का काम जगह में छिपे आतंकवादी का ठिकाना ढूंढना और बाहर की पूरी जानकारी लेना होता है ।जिसे बाद में उन आतंकियों पर हमला करने पर आसानी हो और ज्यादा नुकसान भी ना हो ।
वायु सेना यह काम आपने जासूसी विमानों के द्वारा करती है । वायुसेना के लड़ाकू विमान को दुश्मन के इलाके मैं भेज कर अपने फाइटर प्लेन मैं लगे कैमरे से वहां की तस्वीरें खींचता है और अपने स्थान पर वापिस आ जाता है । जिससे यह पता लगता है कि आतंकबादी उस जगह पर छिपे है या नहीं । इस काम के लिए भारतीय वायु सेना में राफेल भी आ चुका है।
जल सेना यह काम अपने पनडु्बी रडार और विमानों के जरिए करती है । जिन स्थान पर वायु और जल सेना के विमान काम नहीं करते जैसे कि जंगल ऐसे में थल सेना को जंगलों में भेज दिया जाता है ऐसे समय में सैनिकों को जंगल में कई हफ्तों या महीनों तक भी रहना पड़ सकता है ।ऐसे में वह अपने खाने का सामान और हथियार खुद ही उठाकर चलते हैं ।
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