पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी में चीनी सेना के द्वारा जारी तनाव चल रहा है।
15 जून की रात चीन और भारत के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी , इसमें 20 जवान शहीद हो गए थे गलवान घाटी में चीन की सेना से हिंसक झड़प के बाद सरकार ने सेना का हौसला बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं ,इस बीच भारत सरकार ने तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को खतरनाक अस्त्र शस्त्रों की तात्कालिक और आपात खरीद के लिए 500 करोड़ रुपये तक की वित्तीय शक्तियां दी हैं। पूर्वी लद्दाख में चीनी और भारतीय सौनिकों के बीच हुई झड़प के बाद सरकार ने यह मंजूरी दी है। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन ने अपने सैनिकों की तादाद बढ़ा दी है।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसारवरिष्ठ अधिकारी ने बताया सरकार सरकार ने सेनाओं को यह अधिकार पहली बार नहीं दिए हैं। इससे पहले उड़ी हमले और पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट हवाई हमलों के बाद भी सशस्त्र बलों को इसी तरह की वित्तीय शक्तियां प्रदान की गई थीं।
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारतीय वायु सेना ने सरकार की ओर से दी गई ऐसी रकम का सर्वाधिक फायदा उठाया था। वायुसेना ने तब बड़ी संख्या में घातक हथियार खरीदे हैं। इन ।हथियारों में हवा से जमीन पर मार करने वाली और हवा से हवा में मार करने वाली स्टैंड ऑफ स्पाइस-2000 और स्ट्रम अटाका मिसाइलें शामिल हैं। वहीं सेना ने इस्रायल की स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदी है। सेना ने अमेरिका से भी बड़ी मात्रा में गोला बारूद की खरीद की।
जल, स्थल और वायु सेना को मीले सख्ती से निगरानी रखने का आदेश।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक दौरान शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और समुद्री लेन में चीन हर गतिविधि पर सख्त नजर रखने के लिए कहा गया है ।सीडीएस बिपिन रावत , सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे , वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने भाग लिया ।
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